सीमा पर रहना - Living on the edge

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Hindi Bible Study notes,  Living on the edge

एक बार एक मां थी जिसकी एक विचित्र समस्या थी। प्रति रात को वह अपने छोटे बालक को बिस्तर के बीच में सुलाती थी। परन्तु मध्य रात्रि में वह बालक धड़ाम से नीचे गिर जाता था। मां जाकर उस बालक को फिर से बिस्तर के बीच में सुलाती थी। परन्तु फिर थोड़े समय पश्चात वह बालक नीचे गिर जाता था। अंत में एक दिन मां ने बालक की निगरानी की ओर उसकी समस्या का पता लगाया। पलंग के किनारे तक सड़क कर उसके किनारे को पकड़कर सोने की आदत बालक में थी।

यही हमारी समस्या भी हो सकती है। पाप या संसार की सीमा के निकट आकर हम कई काम करते हैं। हम पूछ सकते हैं, उसे देखने में क्या बुराई है? वहां जाने में क्या हानि है? क्या पवित्र शास्त्र में ऐसा लिखा है कि एक व्यक्ति को ऐसा नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत हमारा प्रश्न यह होना चाहिए कि मुझे उससे क्या लाभ होगा? यदि किसी बात में कोई लाभ नहीं तो उसमें कुछ न कुछ हानि होगी। 

हम शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करें। हम सदा यह निश्चय कर लें कि हम जिन बातों को अपने जीवन में अनुमति देते हैं वह परमेश्वर की इच्छा के बीच में हों। 

"सब प्रकार की बुराई से बचे रहो"  (। थसल. 5:22) संसार के किनारे पर जाने के लिए कुछ बचाव के रास्तों को खोजना और सीमावर्ती मसीही जीवन बिताना खतरनाक है, "यीशु मसीह को पहन लो" का अर्थ है मसीह को प्रगट करना। सभी बातों में हमें केवल मसीह को प्रगट करना चाहिए।

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