परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप और समानता से बनाया।। परमेश्वर अद्भुत है, इसीलिए जब उसने हमें बनाया उसने हमारे अन्दर अद्भुत बनने के आग्रह को डाला। हर एक मनुष्य चाहे पापी हो या संत हो अलौकिकता का अभिलाषी है। पापी मनुष्य नशीले पदार्थों सिगरेट, जादू टोना इत्यादि के द्वारा अलौकिकता की खोज करता है। उन्हें किसी न किसी प्रकार की अलौकिक सामर्थ चाहिये।
परमेश्वर हमारे द्वारा और हमारे अन्दर कुछ अलौकिक काम करना चाहता है। उसका हमारे बारे में एक महान उद्देश्य है, जो कि हमारी कल्पना से कहीं अधिक महान है। इसीलिए परमेश्वर का वचन कहता है, "पर तुम एक चुना हुआ वंश और राजपदधारी याजकों का समाज और पवित्र लोग और निज प्रजा हो" (। पत. 2:9) हमारा परमेश्वर हमारे जीवन को कितना अद्भुत बनाना चाहता है यह जानने के लिए यदि हमारी आत्मिक आंखें खुल जाए तो उससे हमारी जीवनशैली में कितना परिवर्तन आ जाएगा।
परमेश्वर प्रतिदिन हम पर अपने आप को अद्भुत होकर प्रगट करना चाहता है। यदि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएं का सीधा उत्तर नहीं देगा तो इसका अर्थ है कि वह अद्भुत रूप से उसका उत्तर देना चाहता है। हमारा परमेश्वर असंभव बातों को करने से प्रसन्न होता है,क्यूंकि हमारे प्रभु का नाम अद्भुत है। वह सब कुछ अद्भुत रूप से करना चाहता है।
परमेश्वर का एक जन कहता है, कि हमें असंभव बातों के लिए प्रार्थना करना चाहिए। परमेश्वर के लिए आसान बातों को करने से कठिन बातों को करना सहज है। हमारा परमेश्वर अलौकिक संसार में वास करता है। जब हम आसान वस्तु की मांग करते हैं तो हम यीशु की सामर्थ, योग्यता और महिमा को सीमित कर देते हैं। हम पवित्र आत्मा को दुःख देते हैं। हम प्रभु की सामर्थ उदारता और प्रेम पर संदेह करते हैं। वास्तव में हम प्रभु के हाथों को बाँध देते हैं। हमारी आत्मिक आंखें खुलना आवश्यक है। तब हम छोटी बातों के लिए प्रार्थना नहीं करेंगे और असंभव बातों के लिए प्रार्थना करना सीख लेंगे। हम और अधिक विश्वास और उत्साह के साथ बड़ी बातों के लिए प्रार्थना करने लगेंगे।