प्रतिकूल कष्ट - adverse suffering

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न केवल परमेश्वर ने जल के बीच में अन्तर किया परन्तु उसने ऊपर के जल और नीचे के जल को अलग किया। यह जानना कितनी आराम की बात है कि इस प्रकार जल दो भाग हो गया। निश्चय उन परमेश्वर के बच्चों के क्लेश जो स्वर्गीय स्थानों के उस अंतर के उपर जीवन बिताते हैं और दुष्टों या सांसारिक लोगों के क्लेश जो उस अंतर के नीचे जीवन बिताते हैं एकदम विपरीत है।

नीचे का जल अधिकतर खारा और उसके कारण भारी रहता है। परन्तु ऊपर के जल का भाप जिससे वर्षा होती है, स्वादिष्ट और हल्का होता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि प्रेरित पौलुस हमारे कष्टों का इस प्रकार वर्णन करता है "पल भर का हल्का सा क्लेश" (॥ कुरं 4:17)  क्यों पल भर का है? हां किसी भी क्षण भाप गायब होकर ठंडा हो जाएगा और वर्षा के समान गिरेगा ऊपर का जल तो केवल क्षण भर के लिए है परन्तु नीचे का जल कितने वर्ष होने पर भी किसी परिवर्तन के बिना वैसा ही रहता है। उसी प्रकार परमेश्वर के बच्चों का क्लेश जल्दी ही दूर हो जाएगा (उसके आगमन के साथ या उनकी मृत्यु के साथ ही) परन्तु पापियों के लिए अन्तहीन समुद्र के जल के समान इस संसार में रहने से और मृत्यु के पश्चात भी उनके कष्ट उनके जीवन को और अधिक बिगाड़ते और निमग्न करते जाएंगे।

समुद्र का जल कीच और मैल को उछालता है, जिससे वह सबके लिए शराप का कारण बन जाता है, परन्तु आकाश का भाप वर्षा होकर बदलते हुए सूखी भूमि को ठंडा कर देता है और पेड़ पौधों को सींचता और सब जीव जंतुओं की प्यास को बुझाता है। (आशीष की बौछार के रूप में) प्रिय परमेश्वर के बच्चे हियाव बांधे, "क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिए और दूसरों के लिए महत्वपूर्ण और अनंत महिमा उत्पन्न करता जाता है"।

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